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चिरंजीवी संकट मोचन हनुमान

जय श्री राम

हनुमान जन्मोत्सव भक्ति, शक्ति, प्रेम ,कर्तव्य ,दायित्व, समर्पण और सच्ची भावना का प्रतीक है।

स्वागतम अंजनी पुत्र : चैत्र मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को हनुमान जी का जन्म वानर राज केसरी के घर हुआ। वे महादेव के ग्यारहवें रुद्र अवतार है।
उनमें अतुलित बल अद्भुत पराक्रम शौर्य साहस है जिसका वर्णन करने का सामर्थ्य मुझमें नहीं है। 
उन्हें परिचय की क्या आवश्यकता है _  चारों जुग  प्रताप तुम्हारा है प्रसिद्ध जगत उजियारा। 
उनके जन्म का उद्देश्य केवल राम काज करना है वे हृदय में प्रभु श्री राम की भक्ति को लेकर ही जन्मे हैं।
बाल्यकाल में ही सूर्य देव को फल समझ कर खा लिया था।
इसलिए इंद्र ने उनके हनु पर प्रहार किया जिससे वह हनुमान कहलाए। 
हनुमान जी का चरित्र :  चरित्र, अच्छाई ,सच्चाई ,की परिभाषा ही हनुमान जी से है।
वे सत्य, धर्म ,भक्ति ,शक्ति, प्रेम, आस्था की मूर्ति है।
इसलिए तो उन्हें " मंगल मूर्ति" कहा जाता है। 

हनुमान जी का गुण :  जय हनुमान ज्ञान गुण सागर - तुलसीदास बाबा ने हनुमान चालीसा में पहले ही बता दिया था कि हनुमान जी गुणों के सागर है।
उनमें इतने गुण हैं जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती उनके अनंत गुणों का वर्णन करने के लिए तो सातों जन्म भी कम पड़ेंगे।
परंतु उनके कुछ गुणों का वर्णन करना चाहूंगी।
भक्ति बुद्धि ,बल , सरलता,निष्ठावान, लक्ष्य के प्रति जागरूकता, दूरदर्शिता ।

भक्ति : भक्ति हनुमान जी का श्रेष्ठ गुण है। जिसके द्वारा ही हनुमान जी ने प्रभु श्री राम को पाया। 
बुद्धि : अपनी बुद्धि और चातुर्यता से वे छल कपट को आसानी से समझ जाते हैं।

बल : अपने बल का उपयोग वे सही जगह करते हैं जहां उन्हें करना चाहिए। 

सरलता :  हनुमान जी बहुत ही सरल व्यक्तित्व के हैं जो उनका सबसे महत्वपूर्ण गुण है। 

निष्ठावान :  हनुमान जी निष्ठावान एवं परम प्रतापी है वे अपना कोई भी कार्य पूरी निष्ठा के साथ करते हैं।

लक्ष्य :  अपने लक्ष्य को लेकर एकाग्रता और हमेशा लक्ष्य की पूर्ति के लिए जागरूक रहना यह हनुमान जी का अनमोल गुण है।

दूरदर्शिता : हनुमान जी दूरदर्शी है वे भविष्य का अनुमान लगाकर ही किसी भी कार्य को करते हैं ।

समर्पण :  उनका संपूर्ण जीवन प्रभु भक्ति और राम काज के लिए समर्पित है। 

हनुमान जी हर गुत्थी हर समस्या हर रहस्य को आसानी से सुलझा लेते हैं।
यदि आपका जीवन रहस्य बन गया है और कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है तो हनुमान जी का स्मरण कीजिए और अपने जीवन की तकलीफों से बाहर आ जाइए ।

सीता मां की खोज के लिए जाना : 
प्रभु श्री राम की आज्ञा पाकर सौ योजन समुद्र को पार करना और मां जानकी की खोज के लिए जाना यह हनुमान जी का श्रेष्ठ कार्य है आए जाने :

जामवंत के याद दिलाने पर जय श्री राम कहकर हनुमान जी का तेज गति से उड़ान भरना और खुद की योग्यता को पहचाना यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।

यदि हम भी अपनी योग्यता और शक्ति को भूल गए तो हनुमान जी से प्रेरणा लेकर हमें भी खुद को पहचाना चाहिए और सफलता की उड़ान भरना चाहिए। 

मैनाक पर्वत : देवताओं ने मैनाक पर्वत को हनुमान जी की परीक्षा लेने के लिए भेजा और मैंनाक पर्वत हनुमान जी से कहने लगा  कुछ देर विश्राम कर लो फिर चले जाना हनुमान जी ने उत्तर दिया राम काज किए बिना मोहे विश्राम कहा  और आगे की ओर चल दिए।

इसका अर्थ यह है कि  हमारी सफलता की राह में जितनी भी परीक्षाएं आए हमें उसे सही उत्तर देना आना चाहिए।

सुरसा : सुरसा भी  हनुमान जी के सामने आकर खड़े हो जाती है और कहती है मैं तुझे अपने मुख पर ले लूंगी हनुमान जी के समझाने पर भी वह नहीं समझती है तब हनुमान जी उसके मुख में प्रवेश करके बाहर आ जाते हैं।

हनुमान जी से प्रेरणा लेकर हमें अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित और ईमानदार रहना चाहिए ।

सिंहिका :  जल में छाया देखकर पक्षियों को खाती थी हनुमान जी के साथ भी उसने यही छल किया और हनुमान जी ने उसका छल पकड़ कर उसे सबक सिखाया, क्योंकि हनुमान जी की भावनाएं राम काज के लिए सच्ची थी।

आप भी अपनी भावनाएं सच्ची और अच्छी रखिए अपने आप को छल और कपट से रहित रखीए है ।

लंकिनी :  लंका का चोर ही मेरा आहार है कहकर हनुमान जी को पकड़ लेती है हनुमान जी उस पर मुष्टिका का प्रहार करते हैं जिससे वह गिर जाती है।

हमें भी हनुमान जी से प्रेरणा लेकर हर बुराई को समाप्त कर देना चाहिए ।

विभीषण :  सज्जन पुरुष सरल व्यक्तित्व वाले विभीषण के आंगन में तुलसी का पौधा दीवारों पर हरि नाम और शंख अंकित है और मुख पर हमेशा श्री राम का नाम है हनुमान जी ने विभीषण की हरी भक्ति को पहचान लिया जिससे हनुमान जी को सही राह मिली ।

हमें भी हनुमान जी से प्रेरणा लेकर संतों की शरण में जाना चाहिए जिससे हमें भी नयी राह मिल जाए।

 हनुमान जी का अशोक वाटिका पहुंचना :  सारी बाधाओं को पार करके हनुमान जी अशोक वाटिका पहुंच गए और मां जानकी को चिंतित उदास दुख में देखा इसलिए राम धुन और राम जी का गुणगान किया और प्रभु की मुद्रिका मां सीता के सम्मुख रख दी जिससे मां जानकी का दुख दूर हो गया मां सीता राम जी के गुण और प्रेम में खो गई। 
और हनुमान जी को देखकर आश्चर्य करने लगी की राक्षसों के बीच में राम भक्त कहां लेकिन हनुमान जी कहते हैं।
"रामदूत मैं मां तू जानकी सत्य शपथ  करुणा निधान की।"

जिससे मां सीता का संशय दूर हो गया ।

यदि आपका जीवन भी शंकाओं और संशय से भरा है तो आप भी अपने जीवन के सत्य का पता लगाइए और अपने भ्रम को दूर कीजिए। 

हनुमान जी ने पूरी अशोक वाटिका उजाड़ दी और मीठे मीठे फल खाए अक्षय कुमार को मारा मेघनाथ ने ब्रह्मा बाण चला कर छल से हनुमान जी को बांध लिया और रावण के समीप ले आया रावण की भरी सभा पर हनुमान जी ने निर्भीक होकर कहा मैं रामदूत हनुमान हूं और प्रभु की आज्ञा से माता सीता का पता लगाने आया हूं और रावण को कई तरह से उपदेश दिया समझाया कि ऋषि पुलस्त्य के कुल को कलंकित मत करो लेकिन रावण का अहंकार तो चरम सीमा पर था और उसने हनुमान जी की पूंछ को जलाने का आदेश दिया। 

हनुमान जी की पूंछ क्या जलेगी समस्त लंका नगरी अनाथ के नगर की भांति जलने लगी।

केवल लंका ही नहीं जली यहां रावण का अहंकार ही पूरा जल गया। 
इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा अहंकार रहित जीवन जीना चाहिए ।
और निर्भीक होकर हमेशा सत्य बोलना चाहिए जिससे हमारी कभी भी पराजय नहीं होगी।

अष्ट सिद्धि नव निधि का वरदान मां जानकी ने हनुमान जी को दिया।
 हनुमान जी ने अपने बल बुद्धि पराक्रम और भक्ति शक्ति और राम काज के प्रति समर्पण के कारण मां सीता पता लगा लिया

हमें भी हनुमान जी से प्रेरणा लेकर अपने कार्यों के प्रति समर्पण का भाव रखना चाहिए और अपने जीवन के सत्य को खोजना चाहिए। 
और इससे यह भी सिद्ध होता है कि यदि हमारे जीवन का उद्देश्य सच्चा है तो हम जरुर सफल होंगे।

संजीवनी बूटी लाना : लक्ष्मण भैया को जब मेघनाथ ने शक्ति बाण चलाकर मूर्छित कर दिया था और राम जी चिंतित और व्याकुल हो गए थे तब हनुमान जी वैद्य सुषेण को उसके घर के साथ उठा कर ले आए और  सुषेण के कहने पर हिमालय जाकर सूर्योदय से पहले पर्वत सहित संजीवनी बूटी ले आए।

हनुमान जी से प्रेरणा लेकर हमें अपना हर कार्य समय के साथ पूरा करना चाहिए जिससे हमें भी सफलता की संजीवनी बूटी अवश्य मिल जाएगी। 

चिरंजीवी :  जब प्रभु श्री राम पृथ्वी लोक से अपनी लीला समाप्त कर अपने धाम को जा रहे थे तब हनुमान जी कहते हैं प्रभु मुझे क्यों छोड़ कर जा रहे हो तभी प्रभु श्री राम मुस्कुरा कर कहते हैं -
हनुमान तुम तो चिरंजीवी हो तुम धरती पर रहकर ही सभी प्राणियों के दुख दूर करो।

चारों जुग प्रताप तुम्हारा है प्रसिद्ध जगत उजियारा।

चारों युगों में हनुमान जी प्रत्यक्ष है साक्षात है चिरंजीवी है। 

हनुमान जी हमेशा धर्म सत्य और भक्ति के मार्ग पर चले हैं उन्होंने दुर्गम से दुर्गम काज को भी सरलता से किया है क्योंकि उनकी भावना सच्ची थी ।

इसलिए हमें भी हमेशा सत्यता और धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए जिससे हमारा कठिन से कठिन कार्य भी सरल हो जाएगा।
 जिस तरह हनुमान जी ने अपने हृदय में प्रभु श्री राम को बसाया हमें भी अपने हृदय में श्री राम दरबार को बसाना चाहिए। 

राम धुन गाकर हनुमान जी सदा आनंद में रहते हैं।

हनुमान जी से प्रेरणा लेकर  हमें भी सदैव राम धुन गाना चाहिए जिससे हमारा जीवन भी एक उत्सव बन जाए आनंद बन जाए।

संकट मोचन : सारी समस्याओं का समाधान करने वाले सारे संकटों से बचाने वाले हनुमान जी हैं इसलिए उन्हें -
 "संकट मोचन "कहा जाता है।

जो अहिरावण से प्रभु श्री राम को बचा सकते हैं प्रभु श्री राम भी संकट के समय जिनका स्मरण करें जरा सोचिए वह महाबली वीर हनुमान की क्या महिमा है। 
अंजनी पुत्र हनुमान ,पवन पुत्र हनुमान ,राम दूत हनुमान, संकट मोचन हनुमान ,जो राम कथा के सूत्रधार है उनकी गौरव गाथा उनके पराक्रम उनकी भक्ति शक्ति ,शौर्य को शब्दों में लिख पाना अत्यंत कठिन है।
परंतु मैंने हनुमान जी के विषय में जितना भी वर्णन किया है वह राम नाम रूपी कलम से किया है ।
राम नाम वह अमृत है जिसे पीकर हनुमान जी चिरंजीवी कहलाए। 

सार :  विशेषकर विद्यार्थियों को हनुमान जी के गुण चरित्र को अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए और अपना हर कार्य हनुमान जी से प्रेरणा लेकर ही करना चाहिए जिससे जीवन की हर परीक्षा में उन्हें सफलता मिलेगी और वह भ्रमित होने से बच जाएंगे और अपने जीवन के सत्य को भली भांति पहचान पाएंगे, समझ पाएंगे।

हमारे जीवन में जब भी संकट आए तो राम जी से प्रेरणा लेकर हमें भी संकट मोचन को पुकारना चाहिए।